“दिल्ली में मानसून का नया खतरा: घरों तक घुस रहे सांप, जानें वजह और बचाव के तरीके”

हाल के मानसून सीज़न में दिल्ली-एनसीआर में सांपों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है—जलभराव, बाढ़ और प्राकृतिक आवासों के क्षरण के कारण ये जीव आबाद इलाकों व घरों तक पहुँचते जा रहे हैं।

जून और जुलाई में Wildlife SOS द्वारा NCR में लगभग 90 सांपों की रेस्क्यू की गई, जो मुख्यतः ग्रीन पार्क, चट्टारपुर, ग्रेटर कैलाश और रिड्ज रोड जैसे इलाकों में हुए।

सांपों के आगमन के प्रमुख कारण

ऐतिहासिकता और मौसमीय बदलाव: मानसून के दौरान बारिश से सांपों के बिल जलमग्न हो जाते हैं, जिससे वे घरों और इमारतों की ऊँचाइयों तक पहुँच जाते हैं— तीसरी मंजिल तक।

शहरी विस्तार: तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण उनके प्राकृतिक ठिकानों का क्षरण हो रहा है, वे नए ठिकाने चाहे वह कूड़ेदान हो, गीली जगहें या घर, तलाशने लगते हैं।

भोजन की उपलब्धता: मानसून में कीड़े, मेंढक, चूहे जैसे (सांपों का मुख्य भोजन) की संख्या बढ़ने से सांप सक्रिय होते हैं और खाद्य स्रोतों के पास आते हैं।

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन भी इनके आवास को बाधित कर रहे हैं, जिससे सांप मनुष्यों के निकट आ रहे हैं।

रेस्क्यू किए गए सांपों में कई विषैले प्रजातियां—जैसे कॉपरा (Indian cobra) व काइट (Common krait)—के साथ गैर-विषैले जैसे Indian rat snake, black-headed royal snake, checkered keelback और buff-striped keelback शामिल हैं।

सुरक्षा और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व हेतु सुझाव

नीरक्षित स्थानों को साफ़ रखें: घरों और आसपास की जगहों से कूड़ा और जलभराव को हटाएँ। दीवारों और फर्श में दरारों को ठीक करवाएँ ।

नंगे पैर बाहर न जाएँ और शाम-अंधेरे में फ्लैशलाइट और जूतों का उपयोग करें ।

वाइल्डलाइफ SOS जैसी आपातकालीन सेवाओं को तुरंत बुलाएं; स्वयं छेड़ने की बजाय उन्हें सुरक्षित रेस्क्यू करनी चाहिए।

शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएँ: सांपों की पहचान, उनके व्यवहार एवं पारिस्थितिक भूमिकाओं को समझने से डर कम होता है और सह-अस्तित्व संभव है।

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